आदिवासी सरहुल: Big tribal sarhul festival 

सरहुल पर्व

सरहुल पर्व झारखंड के आदिवासी समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को मनाया जाता है।

इस पर्व के दौरान समुदाय के लोग एकता और भाईचारे का संदेश देते हुए मिलकर खुशी के साथ नाचते और गाते हैं।

सरहुल पर्व झारखंड राज्य में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध आदिवासी पर्व है। इस पर्व को सदाबहारी महोत्सव के रूप में मनाया जाता है और यह आदिवासी समुदाय के लोगों के बीच एकता, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है।


सरहुल पर्व झारखंड के सरहुल नामक स्थान पर मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध आदिवासी पर्व है। यह पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की तीसरी शनिवार को मनाया जाता है।

सरहुल पर्व का मुख्य उद्देश्य संपूर्ण समुदाय के समूह को एक साथ लाना और उन्हें एकजुट होने का संदेश देना होता है। इस पर्व में आदिवासी समुदाय के लोग अपनी परंपराओं और धर्म से जुड़े अनेक रीति-रिवाजों को मानते हुए खुशहाली का उत्सव मनाते हैं।

सरहुल पर्व के दौरान लोग अपनी परंपरागत वस्तुओं जैसे ढोकरा, तोरण, मुदिया आदि को सजाकर रखते हैं। उन्हें अपने घरों के आसपास लगाते हैं और गांव में धूमधाम से उत्सव मनाते हैं। इसके अलावा, इस पर्व के दौरान गीत-नृत्य की विभिन्न प्रकार की प्रस्तुतियां होती हैं।

इस पर्व को मनाने से पहले, सभी लोग संगठित होते हैं और समुदाय के सदस्यों को आमंत्रित करते हैं। समूह के सदस्य एक-दूसरे को संबोधित करते हैं


सरहुल पर्व शुरू होता है चैत्र मास की पूर्णिमा से और लगभग 40 दिन तक चलता है।

सरहुल पर्व का मुख्य उद्देश्य प्रकृति के साथ संबंधों को मजबूत करना है। इस उत्सव में आदिवासी समुदाय के लोग अपने गांवों से निकलकर जंगल में जाते हैं और प्रकृति के साथ एक संवाद करते हुए उसकी रक्षा करते हैं। इस पर्व के दौरान आदिवासी समुदाय के लोग अपनी परंपराओं, संस्कृति और धर्म को जीवित रखने के लिए भी प्रयास करते हैं।


सरहुल एक आदिवासी समुदाय है जो भारत के झारखंड राज्य में निवास करता है। यह समुदाय मुख्य रूप से छोटे से गांवों में रहता है और अपनी पारंपरिक संस्कृति और जीवनशैली को बचाने के लिए जंगलों और पहाड़ों में रहता है।

सरहुल के लोग अपनी अलग पहचान और संस्कृति रखते हैं। वे अपनी भाषा, संगीत, नृत्य और खान-पान को संरक्षित रखते हैं। इनकी भाषा हिंदी का एक विशेष रूप है जिसे सरहुली भाषा कहा जाता है।

सरहुल की जीवनशैली जंगलों और पहाड़ों के साथ संबंधित है। वे फसल उगाते हैं, भेड़-बकरी पालते हैं और जंगल से अपने रोजगार की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।


आदिवासी सरहुल झारखंड राज्य के जिले में रहने वाली एक जनजाति है। वे मुख्य रूप से वन्य जीवन और कृषि पर आधारित जीवन जीते हैं। इनकी भाषा सन्थाली है और धर्म आदिवासी धर्म है।

सरहुल आदिवासी लोग अपनी विशेष रीति-रिवाजों के लिए जाने जाते हैं। उनकी संस्कृति में नाच-गान, धुमकुड़िया, मंडरा, सोहराया जैसे प्रमुख रंगारंग कार्यक्रम होते हैं।

 सरहुल एक आदिवासी जनजाति है, जो भारत के झारखंड, बिहार और ओडिशा राज्यों में बहुत धूमधाम से मनाते हैं। यह जनजाति मुख्य रूप से वन और खेती के लिए जानी जाती है। सरहुल शब्द का अर्थ है "अपने दोस्तों का समूह" या "संगठित समूह"। इस जाति के लोगों की भाषा संस्कृति और अनुभव अनूठे हैं।

सरहुल जनजाति के लोगों का वेशभूषा, खान-पान और संस्कृति उनकी अलग पहचान है। इस जाति के लोग अपने परंपरागत संगीत, नृत्य और अन्य कलात्मक रूपों को अपनाते हैं। उनके धर्म में जादू-टोना भी शामिल होता है।