भारत के राष्ट्रपति
निर्वाचन के लिए योग्यताएँ : 1. भारत का नागरिक हो। 2.35 वर्ष से कम आयु का न हो। 3. लोक सभा की सदस्यता प्राप्त करने की योग्यता हो। 4. किसी लाभ के पद पर नहीं हो। कार्यकाल : राष्ट्रपति का निर्वाचन पाँच वर्षों के लिए किया जाता हैं लेकिन संविधान के उल्लंघन की दशा में उस पर महाभियोग लगाकर तथा 14 दिन पहले सदन के चौथाई सदस्यों का हस्ताक्षर होना अनिवार्य है। जब उस सदन के सदस्यों की कुल संख्या के दो-तिहाई बहुमत द्वारा महाभियोग साबित हो जाता है, तब राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देना पड़ता है।
भारत के प्रधानमंत्री
भारतीय संविधान की धारा 74(1) के अनुसार केन्द्र में प्रधानमंत्री के पद की व्यवस्था की गई हैं। प्रधानमंत्री लोक सभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है तथा मंत्रिमण्डल का प्रधान होता है। भारतीय संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री राष्ट्रपति का परामर्शदाता है क्योंकि सारा काम राष्ट्रपति के नाम से होता है। इसलिए प्रधानमंत्री मंत्रिमण्डल और राष्ट्रपति के बीच की कड़ी है। संविधान की धारा 74 (क) के अनुसार प्रधानमंत्री का कर्तव्य है कि संघीय शासन से सम्बन्धित मंत्रिमंडल के समस्त निर्णयों को तथा व्यवस्था सम्बन्धित प्रस्तावों की सूचना राष्ट्रपति को देता रहे। प्रधानमंत्री अपने साथियों में विभागों का बँटवारा करता है तथा लोक सभा भंग करने की सलाह भी वह राष्ट्रपति को देता है।
लोक सभा
संविधान की धारा 81 के अनुसार लोक सभा के सदस्यों की संख्या 525 निश्चित की गई थी, जिसमें 25 सदस्यों की व्यवस्था केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए थी। लेकिन 1973 ई० के 31वें संविधान संशोधन के अनुसार लोकसभा में राज्यों के प्रतिनिधित्व की संख्या 500 से बढ़ाकर 545 कर दी गई है तथा संघीय प्रदेशों की सीमा 25 से घटाकर 20 कर दिया गया है। लोक सभा के सदस्यों का चुनाव जनता प्रत्यक्ष ढंग से व्यस्क मताधिकार द्वारा 18 वर्ष से ऊपर आयु वाले व्यक्ति के द्वारा होता है।
राज्य सभा
राज्य सभा में अधिक-से-अधिक 250 सदस्य हो सकते हैं। इन सदस्यों में 238 निर्वाचित और 12 मनोनीत सदस्य होते हैं। राज्य सभा के सदस्यों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से होता है।उन्हें राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य एकल संक्रमणीय मत के आधार पर आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से चुनते हैं। राष्ट्रपति साहित्य, कला, विज्ञान तथा समाज सेवा के क्षेत्रों में से 12 प्रमुख व्यक्तियों को राज्य सभा के सदस्यों के रूप में मनोनीत करता है।
सर्वोच्य न्यायालय
सर्वोच्च न्यायालय देश का अन्तिम न्यायालय है। सुप्रीम कोर्ट में एक मुख्य न्यायाधीश और 14 अन्य न्यायाधीश होते हैं। लेकिन संविधान में संशोधन कर 26 कर दिया है।
नियुक्ति : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। 65 वर्ष की आयु तक सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश कार्य कर सकते हैं। इसके पहले भी वे त्यागपत्र देकर या संसद की प्रार्थना पर राष्ट्रपति हटा सकते हैं।
उच्च न्यायालय
किसी प्रांत के न्यायपालिका का प्रधान हाई कोर्ट होता हैं जो प्रत्येक प्रांत में स्थित है। प्रत्येक हाई कोर्ट में एक मुख्य न्यायाधीश और कुछ अन्य न्यायाधीश होते हैं। नियुक्ति : हाई कोर्ट के न्यायाधीश एवं अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा होती है। राष्ट्रपति हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्त करते समय सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तथा उस राज्य के राज्यपाल एवं उस राज्य के हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से भी परामर्श लेते हैं।
प्रत्येक न्यायाधीश 65 वर्ष की अवस्था तक अपने पद पर रह सकते हैं तथा इसके पहले भी वह त्यागपत्र देकर तथा सांसद के दो तिहाई बहुमत के द्वारा कदाचार का आरोप लगाकर हटाया जा सकता है।
राज्यपाल
राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा 5 वर्ष की अवधि के लिए होता है। वह भारत का नागरिक हो, आयु 35 वर्ष से कम न हो, किसी विधान मण्डल का सदस्य न हो, कोई लाभ के पद पर न हो, उसे ही राज्यपाल नियुक्त किया जाता है।
मुख्यमंत्री
राज्यपाल उस व्यक्ति को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है, जिसको विधान सभा के बहुमत का समर्थन प्राप्त हो। इस प्रकार मुख्यमंत्री नियुक्त हुए व्यक्ति को राज्य व्यवस्थापिका का सदस्य होना चाहिए या नियुक्ति से छः महीने के अन्दर सदस्य होना चाहिए। मुख्यमंत्री का अधिकार और कर्त्तव्य राज्य तक ही सीमित है।
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